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Lyrics

10 ANGADHIYA DEVA.mp3


Album: KAHEN KABIR II (2006)

अनगढ़िया देवा

अनगढ़िया देवा, कौन करै तेरी सेवा। -3

गढ़े देव को सब कोई पूजै -2, नित ही लावै सेवा। -2
पूरन ब्रह्म अखंडित स्वामी-2, ताको न जानै भेवा।
अनगढ़िया देवा, कौन करै तेरी सेवा। -3

दस औतार निरंजन कहिए-2, सो अपना ना होई।-2
यह तो अपनी करनी भोगै-2, कर्ता और हि कोई।
अनगढ़िया देवा, कौन करै तेरी सेवा। -3

जोगी जपी तपी सन्यासी-2, आप आपमें लड़ियाँ-2
क्हे कबीर सुनो भाई साधो-2, राम लखै सो तरियां।
अनगढ़िया देवा, कौन करै तेरी सेवा। -3



प्रस्तुति: अंगाढिया देव

प्रस्तुत भजन में कबीर जी कहेते हैं, मनुष्य मायवी शृंखला में फँसा है. वह मूर्ति पूजा में लगे जोगी-सन्यासियों के हाथों में खेल रहा है. जब की वह पूर्ण अखंड से परिचित नहीं. दस अवतारों की महिमा भी नही जनता. इन अवतारों द्वारा स्थापित मानव उत्थान की परंपरा, जिसकी अख़िरी सीडी उसका आत्म-बोध है, उसे भी नहीं जनता.



ENGLISH TRANSLATION

O Lord in-create, who will serve thee? Every votary offers his worship to the God of his own creation. Each day he receives service. None seek him. The perfect Brahma, the indivisible Lord. They believe in ten Avatars, but no avatar can be the infinite spirit, for he suffers the results of his deeds. The Supreme One must be other than this. The yogi, the Sanyasi, the ascetics are disputing with one another. Kabir says O! Brother! he who has seen this radiance of love, he is saved.